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बिहार की तरह छत्तीसगढ़ में भी लाखों वोट काटने की तैयारी – सचिन पायलट

छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने जगदलपुर प्रवास के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए पूरी प्रक्रिया को लोकतंत्र पर सीधा प्रहार करार दिया। पायलट ने दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह लाखों मतदाताओं के नाम voter list से हटाए गए थे, वैसा ही पैटर्न अब छत्तीसगढ़ में भी अपनाया जा रहा है।​

सचिन पायलट ने आरोप लगाया कि SIR की आड़ में खास तौर पर दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग के मतदाताओं को टारगेट किया जा रहा है। उनके अनुसार, यदि गरीब और वंचित तबकों के वोट ही सूची से गायब कर दिए जाएंगे तो यह केवल तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों पर संगठित चोट मानी जाएगी। पायलट ने साफ कहा कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर इन समुदायों के नाम voter list से कटने नहीं देगी और जरूरत पड़ी तो बड़े आंदोलन की राह भी अपनाई जाएगी।​

कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग से मांग की कि SIR से जुड़े सभी दिशानिर्देश, डेटा और कार्रवाई की पूरी पारदर्शिता के साथ जानकारी सार्वजनिक की जाए। पायलट का कहना है कि पार्टी लगातार दस्तावेज और शिकायतें दे रही है, लेकिन आयोग की ओर से अब तक न तो स्पष्ट जवाब मिल पाया है और न ही ठोस कदम दिख रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि संदिग्ध नाम कटौती पर तुरंत रोक नहीं लगी तो कांग्रेस इस मुद्दे को सड़क से लेकर अदालत तक ले जाएगी।​

पत्रवार्ता के दौरान नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने भी SIR प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई। महंत ने उदाहरण देते हुए कहा कि भरतपुर के पूर्व विधायक गुलाब कमरो का नाम ही उनके पैतृक गांव की मतदाता सूची से गायब पाया गया और बाद में रायगढ़ जिले के एक गांव की सूची में दर्ज मिला। महंत ने तर्क दिया कि जब एक पूर्व विधायक तक इस तरह की गड़बड़ी का शिकार हो सकता है, तो सामान्य मतदाता के साथ हो रही परेशानियों का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।​

कांग्रेस ने बस्तर संभाग और अन्य जिलों से मिल रही शिकायतों का हवाला देते हुए आरोप दोहराया कि SIR के नाम पर बड़े पैमाने पर नाम हटाए जा रहे हैं, जबकि सरकार और आयोग का दावा है कि प्रक्रिया केवल डुप्लीकेट, मृत या बाहर चले गए मतदाताओं की एंट्री सुधारने तक सीमित है। पार्टी नेतृत्व ने मांग की कि सभी जिलों में विशेष हेल्प डेस्क, सोशल ऑडिट और समयबद्ध सुनवाई की व्यवस्था की जाए, ताकि वास्तविक मतदाता चुनाव से पहले अपने नाम सुरक्षित कर सकें।

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news36Desk

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