भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं तो प्यासे बनकर आये : पं. ललित वल्लभ
केशव पाल, NEWS 36 @ तिल्दा-नेवरा | भागवत कथा सुनकर अगर कुछ पाना चाहते हैं, कुछ सीखना चाहते हैं तो कथा में प्यासे बनकर आये। अपने हृदय को रिक्त रखें तभी हृदय पटल पर उतरेगी। प्रभु तो सत्य और सर्वेश्वर है जो सृष्टि की रचना करते हैं और समय-समय पर संहार भी करते है। लेकिन आज मानव भगवान की भक्ति छोड़कर विषय वस्तु को भोगने में लगा है। उनका सारा ध्यान सांसारिक विषयो में लगा है। लेकिन मानव जीवन का उद्देश्य श्रीकृष्ण भक्ति प्राप्त करने में होना चाहिए। उक्त बातें हाईस्कूल रोड दशहरा मैदान तिल्दा-नेवरा में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन वृन्दावन धाम से पधारे कथावाचक भागवत भूषण पंडित श्रीहित ललित वल्लभ नागर्च ने कही। कथा प्रसंग में कथा व्यास ने कहा कि, जब द्रोपति का चीर दुशासन ने खींचा तब भगवान वस्त्र अवतार लेकर प्रकट हुए और रक्षा की।
व्यास गद्दी से कथावाचक ने आगे कहा कि, राजा परीक्षित ने अपने राजकोष से मुकुट धारण कर लिया वह जरासंघ का था। पाप की कमाई में कलयुग का वास होने से राजा के मन में शिकार की इच्छा हुई और वह वन में गए। काफी दूर पंहुचने पर राजा को प्यास लगी तो वह समीप के मुनि के आश्रम पहुँचे। मुनि ध्यान में लीन थे वह राजा का सत्कार नही कर पाये तो राजा ने उनके गले में मृत सर्प डाल दिया। ऋषि के बालक को पता चला तो उसने श्राप दे दिया की आज से सातवें दिन तक्षक सर्प के डसने से आपकी मृत्यु हो जाएगी। कथा प्रसंग में शुकदेव जी के जन्म कथा का भी श्रवण कराया गया। बता दें कि, वृन्दावन धाम से पधारे 108 ब्राह्मणों द्वारा 108 श्रीमद् भागवत के मूल पाठ प्रातः 7 बजे से प्रतिदिन हो रहे हैं। वहीं कथा का रसपान करने बड़ी संख्या में रसिक श्रोताएं कथा पंडाल पहुंच रहे हैं। 14 से 20 दिसंबर तक चलने वाले सात दिवसीय भागवत कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक आयोजित हो रहे हैं। यह कथा श्रीमद् भागवत कथा परिवार तिल्दा-नेवरा की ओर से आयोजित है।