शा. मदनलाल शुक्ल महाविद्यालय सीपत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन, डॉ शांतनु ने कहा : 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार कर समाज मे इसका सकारात्मक वातावरण बनाएं , विकसित भारत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
शा. मदनलाल शुक्ल महाविद्यालय सीपत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर 2020 पर आधारित संवेदीकरण प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन , वैदिक सहित अन्य कॉलेजों के प्रधायपक , अधिकारी कर्मचारी हुए शामिल
सीपत (हिमांशु गुप्ता✍️):– आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग नवा रायपुर एवं शासकीय अग्रणी महाविद्यालय के निर्देशानुसार स्थानीय शासकीय मदन लाल शुक्ल स्नातकोत्तर महाविद्यालय सीपत में बुधवार को इस महाविद्यालय एवं वैदिक महाविद्यालय सीपत, नयनतारा शर्मा महाविद्यालय पंधी और दुर्गा कन्या महाविद्यालय खम्हरिया के प्रधायापकों और अधिकारियों कर्मचारियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें प्रशिक्षण देने के लिए शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय कोटा अंग्रेजी विषय के सहायक प्राध्यापक डॉ. शांतनु घोष मास्टर ट्रेनर के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजीव शंकर खेर ने की। वैदिक महाविद्यालय सीपत के प्राचार्य प्रो सीआर कैवर्त भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. हेमन्त पाल घृतलहरे ने किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. रघुनंदन पटेल ने आभार ज्ञापन किया। प्रशिक्षण के दौरान डॉ. शांतनु घोष ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित भारत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह चार वर्षीय सेमेस्टर प्रणाली पर आधारित है छात्र केंद्रित प्रणाली है, नियमित और स्वाध्यायी सभी छात्रों के लिए सतत आंतरिक मूल्यांकन व्यवस्था है जिसमे 30 प्रतिशत अंक है, सेमेस्टर में 70 प्रतिशत अंक है, दोनो मिलाकर 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना है।
बहुविषयक अध्ययन की सुविधा से विद्यार्थी का ज्ञान बहुआयामी होगा, विषय के अध्येता शोध और शिक्षण के लिए तैयार हो सकेंगे और बहुविषयी अध्येता प्रतियोगी परीक्षाओं की ओर बढ़ सकेंगे। इसमें लचीलापन है, अपने अनुसार विषय चुन सकेंगे, इन पर पाठ्यक्रम और परीक्षा का दबाव कम होगा। अब एक या दो वर्ष बाद बीच में पढ़ाई छूट जाने पर भी सर्टिफिकेट और डिप्लोमा मिलेगा अर्थात विद्यार्थी की कोई मेहनत बेकार नहीं होगी। उन्होंने इसकी शब्दावली, क्रेडिट, अध्यापन और परीक्षा प्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला। उनका मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सम्बन्ध में बहुत सी भ्रांतियां हैं इसलिए इसके संबंध में सकारात्मक और उचित जानकारी प्रचारित करने की आवश्यकता है।
डॉ शांतनु ने पुरानी एवं नई शिक्षा नीति में तुलना करते हुए स्वीकार करने आह्रान किया। उन्होंने कहा कि समाज मे इसका सकारात्मक वातावरण बनाएं। विद्यार्थियों की जिज्ञासा का अपने सुविधानुसार समाधान करें। विद्यार्थियों ने आलोचनात्मक सोच , डिजिटल साक्षरता के साथ रोजगार क्षमता एवं शारीरिक विकास को बढ़ावा देते हुए भविष्य के चुनौतियों के लिए तैयार करता है। वनांचल एवं दुरस्थ क्षेत्रो के विद्यार्थियों को दूरस्थ शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना इस शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य है।
कार्यक्रम में सहभागियों ने परिचर्चा की व सवाल भी पूछे जिसके उत्तर मास्टर ट्रेनर ने सहजता से दिए। इस दौरान महाविद्यालयों के प्राध्यापकगण व अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।