Chhattisgarh : मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की सीधी भर्ती पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, अधिसूचना रद्द

Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों की सीधी भर्ती पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रोफेसर के पद केवल पदोन्नति से ही भरे जाएंगे, और इन पदों की सीधी भर्ती अब संभव नहीं होगी। यह फैसला चिकित्सा शिक्षा विभाग की 2021 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बाद आया।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद, अब मेडिकल, डेंटल और नर्सिंग कॉलेजों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पद केवल पदोन्नति के आधार पर भरे जा सकेंगे, जो कि 2013 के भर्ती नियमों के अनुसार है। इस आदेश के बाद संविदा शिक्षकों को अब आयु सीमा में छूट और चयन प्रक्रिया में बोनस अंक देने का प्रावधान भी खत्म हो जाएगा।
हाई कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
2021 में विभिन्न एसोसिएट प्रोफेसरों द्वारा हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. शशिकला कोसम, डॉ. नरेंद्र प्रसाद नरसिंग, और डॉ. ओंकार कश्यप शामिल थे। इन याचिकाओं में चुनौती दी गई थी कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की 10 दिसंबर 2021 की अधिसूचना असंवैधानिक थी। इस अधिसूचना के माध्यम से 2013 के भर्ती नियमों को दरकिनार कर प्रोफेसरों के पदों को सीधी भर्ती से भरने की छूट दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम, 2013 के नियम 6 के तहत प्रोफेसर के पद 100% पदोन्नति से ही भरे जा सकते हैं। इस नियम में कोई संशोधन नहीं किया गया था, इसलिए यह अधिसूचना संविधान के खिलाफ और कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
पदोन्नति के माध्यम से ही भर्ती – हाई कोर्ट
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि 2013 के नियमों के अनुसार, प्रोफेसर के पद केवल पदोन्नति के माध्यम से ही भरे जा सकते हैं और इस पद के लिए सीधी भर्ती की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस फैसले ने राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया, जो संविदा शिक्षकों को आयु सीमा में छूट और चयन प्रक्रिया में बोनस अंक देने की अनुमति देती थी।
प्रदेश में प्रोफेसरों की भारी कमी
राज्य सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा था कि नए मेडिकल कॉलेजों के खुलने के बाद प्रदेश में प्रोफेसरों की भारी कमी हो गई थी, और सीधी भर्ती राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की मान्यता के लिए जरूरी थी। सरकार ने यह भी कहा कि राज्यपाल को नियमों में छूट देने का अधिकार है, और यही कारण है कि यह अधिसूचना जारी की गई थी।