मनरेगा का नाम बदलने पर गरमाई छत्तीसगढ़ की सियासत, 17 दिसंबर को कांग्रेस का हर जिले में धरना, प्रदर्शन

मनरेगा नाम बदलने पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस गरमाई। 17 दिसंबर को सभी जिलों में धरना-प्रदर्शन। भाजपा पर गांधीजी के नाम मिटाने की साजिश का आरोप।
रायपुर। केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) का नाम बदलने की चर्चाओं के बीच छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इसे महात्मा गांधी के आदर्शों और उनकी विचारधारा पर सीधा प्रहार बताया है। पार्टी ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर आरोप लगाया है कि वह सोच-समझकर गांधी के नाम और उनके मूल्यों को मिटाने की साजिश कर रही है।
कांग्रेस ने इस निर्णय के विरोध में 17 दिसंबर को पूरे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में सामूहिक धरना और प्रदर्शन करने की घोषणा की है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ एक योजना के नाम बदलने का विरोध नहीं, बल्कि देश की उस आत्मा के खिलाफ छेड़ी गई लड़ाई है जो महात्मा गांधी के विचारों पर टिकी है।
जाने क्या है मामला
मनरेगा, वर्ष 2005 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौरान शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण भारत के गरीब और बेरोजगार परिवारों को न्यूनतम सौ दिन का रोजगार उपलब्ध कराना है। यह योजना न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सहारा बनी बल्कि इसमें महात्मा गांधी का नाम जोड़कर इसे “ग्राम स्वराज” और “श्रम गरिमा” की अवधारणा से जोड़ा गया।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा सरकार महात्मा गांधी के नाम पर बनी योजना को बदलकर भारतीय जनता को भ्रमित करना चाहती है। उनका आरोप है कि आज भी देश के करोड़ों ग्रामीण परिवार इस योजना पर निर्भर हैं, और इसका नाम बदलना उन लोगों के योगदान को नजरअंदाज करने जैसा है।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर लगाया साजिश का आरोप
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि केंद्र सरकार शुरुआत से ही कांग्रेस सरकार की योजनाओं को समाप्त करने या उनके स्वरूप को बदलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “गांधी जी का नाम हटाकर यह सरकार देश की स्वतंत्रता की उस विरासत को मिटाने पर तुली है, जिसने भारत को लोकतंत्र के रास्ते पर आगे बढ़ाया।”
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी एक बयान जारी करते हुए केंद्र पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य राष्ट्रीय नेताओं के योगदान को मिटाने की दिशा में काम कर रही है। “मनरेगा केवल एक रोजगार योजना नहीं थी, यह गांव, किसान और मजदूर के सम्मान की योजना थी। इसका नाम बदलना, उनके योगदान का अपमान है,






