रायपुर संभाग

मेडिकल कोर्स को निजी विश्वविद्यालयों के हाथों देने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री टीएस बाबा के फैसले का कांग्रेस विधायक ने किया विरोध

छत्‍तीसगढ़ में मेडिकल पाठ्यक्रमों को निजी विश्वविद्यालयों के हाथों देने का विरोध शुरू हो गया है। बता दें कि अब तक शासकीय आयुष विश्वविद्यालय के पास ही मेडिकल पाठ्यक्रमों के संचालन का जिम्मा है। कुछ निजी विश्वविद्यालयों की मांग पर शासन उन्हें मान्यता के लिए विषय में प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसे लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, नर्सिंग कालेज एसोसिएशन ने विरोध दर्ज कराया।

मंत्री सिंहदेव की बैठक में विधायक शर्मा ने किया विरोध
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की बैठक के दौरान ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा ने भी इसका जमकर विरोध किया। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव और स्वास्थ्य सचिव प्रसन्ना आर से कहा निजी विश्वविद्यालयों को इस तरह से आयुष पाठ्यक्रमों के संचालन की मान्यता देना कही से भी सही नहीं है। इससे चिकित्सा शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। निजी विश्वविद्यालयों को आयुष पाठ्यक्रम की मान्यता को लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय आयुष विश्वविद्यालय से अभिमत मांगा गया है।

सीएम को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई
अधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय व संचालक चिकित्सा शिक्षा पर इसे मान्यता देने को लेकर भारी दबाव बनाया जा रहा है। इसपर अब विश्वविद्यालय व डीएमई से जुड़े अधिकारी विरोध तो कर रहे हैं। मुद्दे पर कुछ कहना नहीं चाहते हैं। इसे लेकर नर्सिंग कालेज एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी कड़ा विरोध दर्ज कराया है। वहीं मामला कोर्ट में तक चला गया है।

निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ फर्जीवाड़े के कई मामले
बता दें कि प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के फर्जीवाड़े आम है। इस पर शासन की जांच रिपोर्ट यह बताती है कि निजी विश्वविद्यालय न कोई रिकार्ड रख रहे हैं, न ही शासन के कोई नियम को मान रहा है। नर्सिंग एसोसिएशन और आइएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को चिकित्सा शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम देना और सरकारी विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था को ध्वस्त करना शासन की मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है।

निजी कालेजों में नहीं भर पा रहीं सीटें
शासकीय कालेजों में आयुष पाठ्यक्रमों की सीटें तो भर जा रही है। लेकिन निजी कालेजों में संचालित आयुष पाठ्यक्रमों की अधिकांश सीटें खाली रह जा रही है। नर्सिंग, डेंटल, होम्योपैथी समेत अन्य पाठ्यक्रमों की स्थिति यही है।
प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा. राकेश गुप्ता ने कहा, आयुष के सभी पाठ्क्रम स्वास्थ्य सेवाओं पर आधारित है, जो सीधे मानव जीवन से जुड़े हैं। इसलिए इसे प्रयोग का विषय नहीं बनाना चाहिए। किसी भी कीमत पर निजी विश्वविद्यालयों को आयुष की मान्यता नहीं देनी चाहिए। मुख्यमंत्री से हमने शिकायत कर स्थिति से अवगत कराया है।

बजट सत्र : पीएम आवास के मुद्दे पर सोमवार को फिर जोरदार हंगामा, विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए वॉकआउट कर दिया

ख़बर को शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
news36 से जुड़िए
जोहार...आपकी क्या सहायता कर सकते है