बस्तर संभाग

कलेक्टर की उपस्थिति में आयोजित किया गया पालक-शिक्षक मेगा बैठक

माता पिता ही बच्चों के होते हैं प्रथम शिक्षक, शिक्षा ही ऐसा हथियार है जो जीवन के बदलाव एवं स्वस्थ समाज निर्माण के लिए बेहद जरूरी है – कलेक्टर मांझी

छात्र बचपन से ही किसी एक क्षेत्र में पारंगत होकर अपने भविष्य को सफल बनाते हैं
नारायणपुर, 06 अगस्त 2024 // छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार बच्चों के शारीरिक मानसिक एवं संर्वागिण विकास के लिए विद्यालय एवं पालकों की मध्य बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों की संपूर्ण गतिविधियों को अवगत कराने के उद्देश्य से पूरे प्रदेश में पालक-शिक्षक मेगा बैठक आयोजित किया

गया, जिसके तहत् जिले में आज शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बंगलापारा में कलेक्टर श्री बिपिन मांझी की उपस्थिति में पालक-शिक्षक मेगा बैठक आयोजित किया गया। कलेक्टर श्री बिपिन मांझी ने मेगा बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि माता पिता ही बच्चों के होते हैं प्रथम शिक्षक होते हैं। उनके बताये हुए राह पर चलकर अपने जीवन को शिखर तक पहुंचने के लिए शिक्षकों को सौंप देते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक एक मोबत्ती की तरह होते हैं, जो सभी को प्रकाशित की भांति शिक्षा देते हैं। उन्होंने अपने प्राथमिक स्कूल की शिक्षा का जिक्र करते बताया कि हमारे गांव में तहसीलदार भ्रमण में आये थे, जिसके कारण स्कूल को छूट्टी कर दिया गया। हमारे गांव के लगभग दौ सौ से अधिक किसान एक पेड़ के नीचे एक्रत्रित हुए थे, कुछ ही समय बाद तहसीलदार साहब पहुंच गये थे, जिन्हें देखने के लिए गांव के सभी लोग दौड़ पड़े, जिसमें मैं भी शामिल था। उन्होंने उपस्थित पालकों और शिक्षकों को बताया कि मैं उनसे प्रेरित होकर अधिकारी बनने का सपना देखा था, जो पूरी हो गई। श्री मांझी ने मेगा बैठक में उपस्थित पालकों से अपने बच्चों को अच्छे शिक्षा के लिए प्रेरित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि रटने के बजाय चित्र के माध्यम से पढ़ाई करना बेहतर है जो काफी समय तक याद रहता है। कृषि के क्षेत्र में शिक्षा अर्जित करने वाले बच्चों से कहा कि फसल उगाना ही कृषि नहीं बल्कि कृत्रिम रूप से फसलों का संपूर्ण ज्ञान रखकर फसल उत्पादन करना होता है। उन्होंने उपस्थित बच्चों को अनुशासन के साथ शिक्षा अध्ययन करने के लिए जानकारी दी। स्कूल में शिक्षकों द्वारा दी गई गृह कार्य को समय पर प्रतिदिन पूर्ण करने के लिए कहा। उन्होंने पालकों से आग्रह करते हुए कहा कि अपने बच्चों को खाना खाने के पश्चात् 15 से 20 मिनट तक टहलने के लिए प्रेरित करें ताकि अच्छी पाचन क्रिया के साथ ही शिक्षा के लिए भी लाभदायक हो सके। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीना खोबरागड़े ने नेशनल आयुष मिशन के तहत चलाये जाने वाले प्रोग्राम आयुर्विद्या की जानकारी बच्चों को देते हुए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के देखभाल एवं अकादमिक तनाव प्रबंधन की जानकारी पालकों एवं शिक्षकों को दी ।
जिले में शिक्षा सत्र् 2024-25 में पालक शिक्षक की बैठक तीन बार आयोजित किया जाएगा। प्रथम बैठक पालक – शिक्षक मेगा बैठक संकुल स्तर पर 6 अगस्त को आयोजित होगी, द्वितीय बैठक विद्यालय स्तर पर तिमाही परीक्षा के बाद 10 दिवस के भीतर तथा तृतीय बैठक छरूमाही परीक्षा के बाद 10 दिवस के भीतर आयोजित की जाएगी। विद्यालय में आयोजित की जाने वाली पालक शिक्षक बैठक का उद्देश्य बच्चों के शारीरिक मानसिक एवं सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय एवं पलकों की बिच बेहतर संबंध स्थापित करना बच्चों की संपूर्ण गतिविधियों से पालको को अवगत कराना है, जिससे बच्चों को सतत प्रेरणा एवं उचित मार्गदर्शन मिल सके। शिक्षक एवं पालकों के संयुक्त प्रयास से बच्चों में पढ़ाई के प्रति सकारात्मक वातावरण बनाना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप ड्रॉप आउट रोकने के लिए पालकों की भूमिका सुनिश्चित करना साथ ही बच्चों की काउंसलिंग करते हुये उन्हें परीक्षा के तनाव से मुक्त कराना है। कार्यक्रम को शिक्षा समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रजापति, प्रोफेसर डॉ. बीडी चाण्डक ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर समग्र शिक्षा के उपसंचालक अखील रायजादा, एसीपी उमेश रावत, प्रभारी प्राचार्य एके स्वर्णकार सहित शिक्षक शिक्षिकाएं एवं बड़ी संख्या में पालकगण और छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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