क्या डहरिया ढ़हा पाऐंगे भाजपा का अभेद किला ?…जाने जांजगीर चांपा का हाल…देखे ‘चुनाव चालीसा’
नवीन देवांगन । छत्तीसगढ़ की वह सीट जहां बसपा के संस्थापक कांशीराम उत्तर प्रदेश से यहां आकर निर्दलीय चुनाव लड़े जहां भाजपा से दिलीप सिंह जूदेव जैसे दिग्गज नेता दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष और सहकारिता पुरुष के नाम से विख्यात पंडित रामगोपाल तिवारी भी यहां से सांसद रहे हैं। वहीं 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला भी यहां से चुनाव लड़कर जीत चुकी हैं इस लोकसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटरो की संख्या सबसे ज्यादा है आज हम बात करेंगे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट जांजगीर चांपा लोकसभा की
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अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट
छत्तीसगढ़ की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक मानी जाने वाली जांजगीर-चांपा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। अनुसूचित जाति वर्ग के 25 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या 11.6 प्रतिशत के करीब है। ये हर चुनाव में निर्णायक की भूमिका में रहते हैं। इसका कारण यह भी है कि ये मतदाता एकतरफा वोट करते हैं। यहां पर ओबीसी वोटर भी 42 प्रतिशत है।
सभी 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
यहां की सभी 8 विधानसभा सीटों में इस समय कांग्रेस के विधायक हैं। इस लिहाज से कांग्रेस यहां बीजेपी के मुकाबले ज्यादा मजबूत है, लेकिन एक सच ये भी है कि जांजगीर लोकसभा की सीट पिछले 20 सालों से बीजेपी का गढ़ है। इस बार कांग्रेस ने पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया को प्रत्याशी बनाया है। वहीं बीजेपी ने यहां नई महिला प्रत्याशी कमलेश जांगड़े को उतारा है।
1989 में पहली बार खिला था कमल
जांजगीर-चांपा लोकसभा में 1984 में पहली बार भाजपा ने इस सीट पर अपना पैर जमाना शुरू किया। इससे पहले भारतीय जनसंघ के रूप में पार्टी पांच बार दूसरे स्थान पर रही। भाजपा के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जूदेव ने पहली बार 1989 में पार्टी का खाता खोला और कांग्रेस के प्रभात मिश्रा को हरा दिया। अगली बार 1991 में कांग्रेस पार्टी के भवानी लाल वर्मा ने दिलीप सिंह जूदेव को हरा दिया। हालांकि 1996 में मनहरण लाल पांडेय और 2004 में करुणा शुक्ला ने पार्टी को जीत दिलाई। तब से लगातार यह सीट भाजपा के खाते में हैं।
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मोदी बनाम मोदी है मुद्दा
इस सीट में अब तक बीजेपी के ही सांसद रहे हैं, इसलिए स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर ही बीजेपी मतदाताओं के पास जा रही है। आम जन की माने तो पूर्व सांसदों का कोई उल्लेखनीय कार्य भी यहां बताने के लिए नहीं है। हालांकि कांग्रेस की महालक्ष्मी योजना के वादों का पोस्टर देखने को जरूर मिलता है, लेकिन पार्टी के वादों को घर-घर तक बताने के लिए कार्यकर्ता दिखाई नहीं दे रहे हैं।
कई कांग्रेसी भाजपा में हुए शामिल
जांजगीर लोकसभा क्षेत्र के कई बड़े कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इनमें कांग्रेस के प्रदेश संयुक्त महासचिव इंजीनियर रवि पांडेय, कांग्रेस के पूर्व विधायक चुन्नीलाल साहू समेत अन्य नेता हैं जो बीजेपी में आकर अब चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रवाद, मोदी की गारंटी और वादों को लेकर बीजेपी यहां मजबूत नजर आ रही है।
कांशीराम लड़े थे निर्दलिय चुनाव
जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र से 1984 में बसपा के संस्थापक कांशीराम उत्तर प्रदेश से यहां आकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। हालांकि इस चुनाव में उन्हें महज 32 हजार 135 वोट मिले और उनका वोट प्रतिशत 8.81 रहा। बसपा की स्थापना इसी दौर में हुई थी, मगर पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिली थी इसलिए उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा। कांशीराम अपना चुनाव प्रचार करने साइकिल रैली से लेकर छोटी- छोटी सभाओं को संबोधित करते थे। इस दौरान उनके साथ बसपा की मायावती भी होती थीं।
इस चुनाव के बाद से जिले में बहुजन आंदोलन की जड़ें मजबूत हुई। ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगा’ और ‘अब न पचासी धोखा खाओ, देश में अपना शासन लाओ’, ‘एक वोट और एक नोट’ जैसे नारे खूब चले। इससे आने वाले समय में पामगढ़ व जैजैपुर विधानसभा में बसपा के उम्मीदवार जीतते रहे। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली और उसके वोट कांग्रेस की ओर चले गए।
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पांच महिला उम्मीदवार पहुंची सदन
जांजगीर चांपा लोकसभा से अब तक पांच बार महिला उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंची हैं। इनमें दो बार मिनीमाता, एक बार करूणा शुक्ला और दो बार कमला देवी पाटले चुनाव जीती हैं। यह सीट प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में है। यहां भाजपा से दिलीप सिंह जूदेव जैसे दिग्गज नेता दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष और सहकारिता पुरुष के नाम से विख्यात पंडित रामगोपाल तिवारी भी यहां से सांसद रहे हैं। वहीं 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला भी यहां से चुनाव लड़कर जीत चुकी हैं।
दिलीप सिंह जूदेव जीते भी हारे भी
भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव को इस लोक सभा हार-जीत दोनों क्षेत्र में जीत और हार दोनों का सामना करना पड़ा। वर्ष 1989 के चुनाव में दिलीप सिंह जूदेव ने कांग्रेस के प्रभात मिश्रा को पराजित किया था। जूदेव ने कांग्रेस उम्मीदवार को 98 हजार 893 वोटों से पराजित किया था। नगर 1991 के मध्यावधि चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस के भवानी लाल वर्मा ने दिलीप सिंह जूदेव को 29 हजार 425 वोट से हराया। पहला चुनाव जीतने के बाद जूदेव का क्षेत्र में दौरा कम होता था। इसलिए उन्हें जनता की नाराजगी झेलनी पड़ी और वह दूसरा चुनाव हार गए। जबकि पहले चुनाव में युवा मतदाता उनका रक्त तिलक लगाकर जगह-जगह स्वागत करते थे। इतना ही नहीं दिलीप सिंह जूदेव की तरह मूंछ रखना उन दिनों क्रेज हो गया था।
बीस साल से सीट पर बीजेपी का कब्जा
साल 2004 से यह लोकसभा सीट लगातार भाजपा के खाते में है। इसके पूर्व इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था मगर बीस साल से इस सीट को कांग्रेस भाजपा से नहीं छिन पाई है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां रवि परसराम भारद्वाज और भाजपा ने गुहाराम अजगल्ले को उम्मीदवार बनाया था। इसमें गुहाराम अजगल्ले को पांच लाख 72 हजार 790 वोट मिले थे। जबकि, रवि परसराम भारद्वाज को चार लाख 89 हजार 735 वोट मिले थे। इस तरह 83 हजार 255 वोटों से भाजपा प्रत्याशी विजयी रहे। इधर इस बार विधानसभा चुनाव में लोकसभा की सभी आठ विधानसभाओं में कांग्रेस की जीत हुई। बसपा यहां एक भी सीट नहीं जीत सकी। जबकि लंबे समय से पामगढ़, जैजैपुर और चंद्रपुर विधानसभा बसपा का प्रभाव वाला क्षेत्र था।
भाजपा प्रत्याशी जहां राज्य में प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी से किसानों को धान की कीमत 3100 रुपए देने, महतारी वंदन और अन्य गारंटी तथा केंद्र सरकार की दस साल की उपलब्धियों पर वोट मांग रही हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी कांग्रेस के पांच न्याय योजना जिसमें युवा, बेरोजगार, महिला और किसानों के लिए न्याय की बात कही गई है, इसे आधार बनाकर वोट मांग रहे हैं। महिलाओं के खाते में प्रतिवर्ष एक लाख रुपये देने, किसानों के लिए एमएसपी लागू करने, फसल बीमा की राशि किसानों के खाते में सीधे भेजने और बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कही जा रही है। भाजपा जहां अयोध्या में राममंदिर बनाने की बात कह रही है, वहीं कांग्रेस चुनावी बांड में भ्रष्टाचार का आरोप भाजपा पर लगा रही है। स्थानीय समस्या पलायन, पेयजल आपूर्ति और गांवों की सड़क निर्माण की बातें दोनों दल के उम्मीदवार कर रहे हैं।
जांजगीर चांपा लोकसभा का लेखा जोखा
लोकसभा में 20 लाख 52 हजार मतदाता हैं। इनमें चंद्रपुर और बिलाईगढ़ विधानसभा में महिला वोटरों की संख्या अधिक है। चंद्रपुर में 1 लाख 17 हजार 599 पुरुष और 1 लाख 19 हजार 803 महिला मतदाता हैं। इसी तरह बिलाईगढ़ विधानसभा में 1 लाख 53 हजार 99 पुरुष और 1 लाख 53 हजार 579 महिला मतदाता हैं। जबकि कसडोल विधानसभा में महिला और पुरुष मतदाताओं में मात्र 58 का अंतर है। यहां 58 पुरुष मतदाता अधिक हैं। जांजगीर चांपा लोकसभा में सर्वाधिक मतदाता कसडोल विधानसभा में है। यहां तीन लाख 68 हजार 136 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाता एक लाख 84 हजार 96 और महिला मतदाता एक लाख 84 हजार 38 है। जबकि सबसे कम मतदाता सक्ती विधानसभा में है। यहां दो लाख 16 हजार 915 मतदाता हैं ।
लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर 39.06 फीसदी था। जबकि बीजेपी का वोट शेयर 46.03 फीसदी था। बसपा को भी 10.06 प्रतिशत वोट मिले थे। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर इस लोकसभा में 45.09 प्रतिशत था। जबकि बीजेपी का वोट शेयर 35.06 प्रतिशत था। बसपा 10.07 प्रतिशत में सिमट गई। जबकि वर्ष 2018 के विधानसभा में उसे 25.01 फीसदी वोट मिले थे। इस तरह बसपा का जनाधार विधानसभा चुनाव में पिछले विधानसभा की अपेक्षा कम हुआ है।
जांजगीर लोकसभा बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है लिहाजा इस बार भी इस सीट पर फतह हासिल करने को लेकर बीजेपी आश्वस्त दिखती है तो कांग्रेस इस बार कांटे का मुकाबला मानते हुए अपने जीत का दावा करती दिख रही है भाजपा मोदी की गारंटी के भरोषे आश्वस्त है तो कांग्रेस पांच न्याय से चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे है विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने शिव डहरिया को यहां से उम्मीदवार बना भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की आश जगा रखी है इस लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस दोनो के दिग्गजों की चुनावी सभाएं हो चुकी है दोनो की सभाओं में लगभग एक सी ही भीड़ दिखी, अब यह भीड़ किस करवट बैठेगी याने वो किसके पक्ष में अपना मत देगी इसका फैसला मतदान के दिन ईवीएम में कैद होने वाला है और जिसका रिजल्ट हमें 4 जून को देखने को मिलेगा
Highlights
📌जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट का सियासी समीकरण
📌अनुसूचित जाति के 25 प्रतिशत मतदाता होंगे निर्णायक
📌जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट में 1989 में पहली बार खिला था कमल
📌क्षेत्र में अजजा के वोटर 11.6 और पिछड़ा वर्ग 42 प्रतिशत से अधिक है
📌कांग्रेस को न्याय योजना तो भाजपा को मोदी की गारंटी पर है विश्वास
📌भाजपा से यहां नई प्रत्याशी कमलेश जांगड़े चुनाव मैदान में
📌कांग्रेस ने पूर्व मंत्री डा. शिवकुमार डहरिया को दूसरी बार यहां से उतारा
📌बीजेपी ने यहां नई महिला प्रत्याशी कमलेश जांगड़े को उतारा है
📌बसपा के संस्थापक कांशीराम उत्तर प्रदेश से यहां आकर चुनाव लड़े
📌दिलीप सिंह जूदेव जैसे दिग्गज नेता दो बार चुनाव लड़ चुके है
📌सहकारिता पुरुष पंडित रामगोपाल तिवारी भी यहां से सांसद रहे
📌अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटरो की संख्या सबसे ज्यादा
📌जांजगीर-चांपा अनुसूचित जाति के लिए है आरक्षित सीट
📌यहां की सभी 8 विधानसभा सीटों में इस समय कांग्रेस के विधायक
📌विधानसभा सीटों के हिसाब से कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले ज्यादा मजबूत
📌जांजगीर लोकसभा की सीट पिछले 20 सालों से बीजेपी का है गढ़
📌जांजगीर लोकसभा क्षेत्र के कई बड़े कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हो गए
📌लोकसभा से अब तक पांच बार महिला उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंची
📌साल 2004 से यह लोकसभा सीट लगातार भाजपा के खाते में है
📌जांजगीर-चांपा लोकसभा में 20 लाख 52 हजार मतदाता हैं